Kundalini Yatra (कुंडलिनी यात्रा)
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- ओशो परम दुर्लभ घटना हैं अस्तित्व की। बुद्धत्व की उपलब्धि में सदियों-सदियों, जन्मो-जन्मों का एक तूफान शांत होता है परम समाधान को प्राप्त है और अस्तित्व उसमें नये रंग लेता है। अस्तित्व का परम सौन्दर्य उसमें खिलता है, श्रेष्ठतम पुष्प विकसित होते हैं और अस्तित्वगत ऊंचाई का एक परम शिखर – एक नया गौरीशंकर – वहां उस व्यक्ति की परम शून्यता में निर्मित हो उठता है। ऐसा व्यक्ति अपने स्वभाव के अंतिम बिंदु में स्थित हो जाता है, जहां से बुद्ध के भीतर का बुद्ध बोल उठता है, कृष्ण के भीतर का कृष्ण बोल उठता है, क्राइस्ट के भीतर का क्राइस्ट बोल उठता है, पतंजलि के भीतर का पतंजलि बोल उठता है, लाओत्से से भीतर का लाओत्से बोल उठता है और लाखों – लाखों और तूफान परम समाधान की दिशा में मार्गदर्शन पाते हैं।
- notes
- Previously published as ch.1-6 (of 19) of Jin Khoja Tin Paiyan (जिन खोजा तिन पाइयां).
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
editions
Kundalini Yatra (कुंडलिनी यात्रा)
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Kundalini Yatra (कुंडलिनी यात्रा)जिन खोजा तिन पाइयां (Jin Khoja Tin Paiyan)
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