Jeevan Sangeet (जीवन संगीत) (4 talks)
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- गोरख-वाणी पर ओशो द्वारा दिए गए प्रवचनों का संकलन है- जीवन संगीत। इसमें ओशो कहते हैं’
- मैं तुम्हें संगीत देना चाहता हूं। लेकिन मैं जानता हूं तुम्हारी अड़चन। तुम्हें उदास चित्त लोगों ने बहुत प्रभावित किया है। सदियों से धर्म के नाम पर तुम्हें जीवन का निषेध सिखाया गया है, जीवन का विरोध सिखाया गया है। मैं तुम्हें विकास से मुक्त करना चाहता हूं। मैं कहता हूं यह क्षणभंगुर भी उस शाश्वत की ही लीला है यह उसका ही रास है। वही नाच रहा है इसके मध्य में। नाच में सम्मिलित हो जाओ। नाच में सम्मिलत होते-होते ही वह आंख भी खुलेगी जिससे तुम्हें वह दिखाई पड़ने लगेगा।
- notes
- Talks on Gorakh(nath). See discussion for a TOC.
- Not to be confused with Jeevan Sangeet (जीवन संगीत), another series with 10 talks.
- Originally published as ch.13-16 of Maro He Jogi Maro (मरौ हे जोगी मरौ).
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
- 4
editions
Jeevan Sangeet (जीवन संगीत) (4 talks)
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