Jansankhya Visphot (जनसंख्या विस्फोट)
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- समाज जितना समृद्ध होता है, वह उतना ही कम बच्चे पैदा करता है। लेकिन दीन-दुखी-दरिद्र लोग जीवन में किसी अन्य मनोरंजन और सुख की सुविधा न होने से सिर्फ सेक्स में ही सुख ढूढ़ लेते हैं, उनके पास और कोई उपाय नहीं रहता। समृद्ध व्यक्ति अगर संगीत सुनता है, साहित्य पढ़ता है, चित्र देखता है, घूमने जाता है, पहाड़ की यात्रा भी करता है, तब उसकी शक्ति बहुत दिशाओं में बह जाती है। एक गरीब आदमी के पास शक्ति बहाने का और कोई उपाय नहीं रहता अर्थात् उसके मनोरंजन खर्चीले है, सिर्फ सेक्स ही ऐसा मनोरंजन है जो घर में बीबीके साथ मुफ्त उपलब्ध है इसलिए गरीब आदमी बच्चे पैदा करते चला जाता है। इस प्रकार ओशो ने इस पुस्तकमें जनसंख्या विस्फोट के मूल कारणों पर प्रकाश डाला है।
- notes
- JJK single-discourse booklet became ch.1 (of 5) of Diamond editions.
- See discussion for a TOC.
- JJK edition earlier (or in the same Jan 1971 if first edition of Jansankhya Visphot exists) published as Pariwar Niyojan (परिवार नियोजन) and later as ch.9 of Sambhog Se Samadhi Ki Or (संभोग से समाधि की ओर).
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
- 1 (JJK editions)
5 (Diamond editions)
editions
Jansankhya Visphot (जनसंख्या विस्फोट)
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Jansankhya Visphot (जनसंख्या विस्फोट)समस्या और समाधान (Samasya Aur Samadhan)
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Jansankhya Visphot (जनसंख्या विस्फोट)
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Jansankhya Visphot (जनसंख्या विस्फोट)
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